आपके अपने गौरव शर्मा "भारतीय" की ओर से देरी की माफ़ी के साथ ही समस्त आत्मीय जनों को सादर प्रणाम, आदाब, सतश्री अकाल !!
आज बड़े दिनों बाद आप सभी से मुखातिब होने का अवसर मिला है, बड़ी ख़ुशी होती है मुझे जब मै अपने शुख, दुःख, अपनी आप बीती आप सभी के साथ बांटता हूँ | आज भी मै कुछ बातें आपको बताने कुछ बातें आपसे जानने के लिए उपस्थित हूँ | सर्वविदित है की हम एक प्रयास कर रहे हैं, देश की जनता को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास जिसे आपके और हमारे द्वारा "अभियान भारतीय" का नाम दिया गया है और हम यह भी जानते हैं की हमारा यह प्रयास निःस्वार्थ गैर राजनैतिक, गैर धार्मिक, गैर जातीय है | हमारा उद्देश्य केवल जन जन में "भारतीयता" की भावना को पुनर्जागृत करना है जिसकी विस्मृति वर्तमान में सर्वत्र दृष्टिगत है और इसी विस्मृति का परिणाम है विभिन्न समस्याएं जिसका सामना हम सभी कर रहे हैं | मै हिन्दू, मै मुस्लिम, मै सिख, मै इसाई, मै मराठी, मै बंगाली, मै राजस्थानी, मै बिहारी यहाँ तक की हम मै भाजपाई, मै बसपाई, मै कांग्रेसी और भी ना जाने कितने अहंकारपूर्ण विभाक्तिकारक उद्बोधनों में विभक्त हैं पर इन सभी के बिच "मै भारतीय" कहीं नजर नहीं आता | "अभियान भारतीय" का प्रयास होगा की हम जन जन को फिर से सारे भेदभाव से मुक्त होकर "सबसे पहले मै भारतीय" इस बात को स्वीकारने की ओर प्रेरित करें, हमारा यह भी प्रयास होगा की हम एक भारतीय के मन में दुसरे भारतीय के प्रति प्रेम, बंधुत्व, भाईचारा की भावना को पुनर्जागृत करें|
"पुनर्जागृत" शब्द का प्रयोग मै इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि जब हमारा देश गुलाम था, जब हमें स्वतंत्रता की दरकार थी और उस समय जब हमारे द्वारा कोई आवाज़ उठाई जाती थी तो वह केवल एक भारतीय की आवाज़ होती थी | तब हम एक थे, केवल भारतीय थे कुछ और नहीं और इसी एकता के बल पर हमने आजादी प्राप्त की | अब जरा सोचिये की जब हम उस समय एक थे तो आज क्यों हमारा देश बंट रहा है और आज हम क्यों फिर से एक नहीं हो सकते जबकि आज के परिवेश में तो हमें स्वतंत्रता की लड़ाई से भी बड़ी लड़ाई लड़नी है, भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई, महंगाई के विरुद्ध लड़ाई, आतंवाद के विरुद्ध लड़ाई, और न जाने देश के लिए हमें कितनी लड़ाइयाँ लड़नी है | क्या हम आपस में बंटकर इन लड़ाइयों को लड़ सकते हैं ? क्या हम आपस में बंटकर देश को इन मुश्किलों से आज़ाद करा सकते हैं ? क्या हम आपस में बंटकर अपने देश अपने भारत को विश्गुरु के स्थान पर जहाँ वह सदैव प्रतिष्ठित रहा वहां पुनः प्रतिष्ठित करा सकते हैं ? नहीं, नहीं, कभी नहीं हम आपस में ही विभक्त होकर यह कार्य कदापि नहीं कर सकते, हमें फिर से एक होना होगा और एकता के बल पर इन बुराइयों पर विजय पाकर ही हम अपने भारत को विश्वगुरु के रूप में देख सकेंगे |
एक राष्ट्र-एक आवाज़,"हम भारतीय हैं" यही हमारा उद्देश्य वाक्य है और आज आवश्कता है इसे सार्थक करने की | निश्चित रूप से हमारे इस महाभियान को देश के हर वर्ग ने अपना समर्थन, मार्गदर्शन आशीर्वाद अब तक प्रदान किया है और आशा ही नहीं वरन विश्वास है की भविष्य में भी करते रहेंगे पर आज मै अपने समस्त सम्मानीय आत्मीय जनों से साधिकार यह अपील करता हूँ की आप न केवल हमें समर्थन प्रदान करें वरन "भारतीयता" की भावना को जन जन तक पहुँचाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान अवश्य देवें | जिस भी माध्यम से हो सके इसे अधिकाधिक जनों तक प्रसारित करें | आपके अपने अभियान भारतीय से अधिकाधिक जनों को जोड़ें, लोगों को सर्वप्रथम "भारतीय" बनने की ओर प्रेरित करें, भारतीयता को राष्ट्रधर्म के रूप में अपनाने की ओर प्रेरित करें तभी आपका और हमारा यह महाभियान सार्थक और सफल होगा | मै सादर अनुरोध आप सभी से करना चाहता हूँ की अगर आप अभियान भारतीय के लिए अपने सन्देश, अपने विचार, अपनी महत्वपूर्ण सलाह हम तक पहुँचाना चाहते हैं तो आप कृपया निम्नांकित पते पर हमें अवश्य प्रेषित करें:-
गौरव शर्मा "भारतीय" {gouravsharma.2222@gmail .com , abhiyanbhartiya .211@gmail.com}
09301988885
शुभाष नगर प्रोफ़ेसर कॉलोनी रायपुर{छ.ग}
"यह आपका अपना अभियान है अतः आपसे सहयोग की अपेक्छा रहेगी"
जय हिंद, जय भारत, जय अभियान भारतीय
"पुनर्जागृत" शब्द का प्रयोग मै इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि जब हमारा देश गुलाम था, जब हमें स्वतंत्रता की दरकार थी और उस समय जब हमारे द्वारा कोई आवाज़ उठाई जाती थी तो वह केवल एक भारतीय की आवाज़ होती थी | तब हम एक थे, केवल भारतीय थे कुछ और नहीं और इसी एकता के बल पर हमने आजादी प्राप्त की | अब जरा सोचिये की जब हम उस समय एक थे तो आज क्यों हमारा देश बंट रहा है और आज हम क्यों फिर से एक नहीं हो सकते जबकि आज के परिवेश में तो हमें स्वतंत्रता की लड़ाई से भी बड़ी लड़ाई लड़नी है, भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई, महंगाई के विरुद्ध लड़ाई, आतंवाद के विरुद्ध लड़ाई, और न जाने देश के लिए हमें कितनी लड़ाइयाँ लड़नी है | क्या हम आपस में बंटकर इन लड़ाइयों को लड़ सकते हैं ? क्या हम आपस में बंटकर देश को इन मुश्किलों से आज़ाद करा सकते हैं ? क्या हम आपस में बंटकर अपने देश अपने भारत को विश्गुरु के स्थान पर जहाँ वह सदैव प्रतिष्ठित रहा वहां पुनः प्रतिष्ठित करा सकते हैं ? नहीं, नहीं, कभी नहीं हम आपस में ही विभक्त होकर यह कार्य कदापि नहीं कर सकते, हमें फिर से एक होना होगा और एकता के बल पर इन बुराइयों पर विजय पाकर ही हम अपने भारत को विश्वगुरु के रूप में देख सकेंगे |
एक राष्ट्र-एक आवाज़,"हम भारतीय हैं" यही हमारा उद्देश्य वाक्य है और आज आवश्कता है इसे सार्थक करने की | निश्चित रूप से हमारे इस महाभियान को देश के हर वर्ग ने अपना समर्थन, मार्गदर्शन आशीर्वाद अब तक प्रदान किया है और आशा ही नहीं वरन विश्वास है की भविष्य में भी करते रहेंगे पर आज मै अपने समस्त सम्मानीय आत्मीय जनों से साधिकार यह अपील करता हूँ की आप न केवल हमें समर्थन प्रदान करें वरन "भारतीयता" की भावना को जन जन तक पहुँचाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान अवश्य देवें | जिस भी माध्यम से हो सके इसे अधिकाधिक जनों तक प्रसारित करें | आपके अपने अभियान भारतीय से अधिकाधिक जनों को जोड़ें, लोगों को सर्वप्रथम "भारतीय" बनने की ओर प्रेरित करें, भारतीयता को राष्ट्रधर्म के रूप में अपनाने की ओर प्रेरित करें तभी आपका और हमारा यह महाभियान सार्थक और सफल होगा | मै सादर अनुरोध आप सभी से करना चाहता हूँ की अगर आप अभियान भारतीय के लिए अपने सन्देश, अपने विचार, अपनी महत्वपूर्ण सलाह हम तक पहुँचाना चाहते हैं तो आप कृपया निम्नांकित पते पर हमें अवश्य प्रेषित करें:-
गौरव शर्मा "भारतीय" {gouravsharma.2222@gmail .com , abhiyanbhartiya .211@gmail.com}
09301988885
शुभाष नगर प्रोफ़ेसर कॉलोनी रायपुर{छ.ग}
"यह आपका अपना अभियान है अतः आपसे सहयोग की अपेक्छा रहेगी"
जय हिंद, जय भारत, जय अभियान भारतीय